Krishna Balaram Goshala
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About Krishna Balaram Goshala
गो-पुनर्वास केंद्र के बारे में
हिंगोनिया पशु पुनर्वास केंद्र का पूरा प्रबंधन, 1 अक्टूबर 2016 से, जयपुर नगर निगम और हरे कृष्ण आंदोलन के बीच समझौता ज्ञापन के अनुसार, हरे कृष्ण मूवमेंट (अक्षय पात्र फाउंडेशन से संबद्ध संगठन) द्वारा किया जा रहा है ।
शहरों की प्रगति और आधुनिक मैकेनिकल मशीनरी, जैसे ट्रैक्टरों और कृषि उपकरणों में अन्य उपकरणों का इस्तेमाल करने से स्थानीय मवेशियों का महत्व कम हो गया।
दुग्ध और आर्थिक विकास के उत्पादन को अधिक महत्व देते हुए, विदेशी नस्ल के मवेशी या संकर मवेशियों की नस्ल, स्थानीय नस्ल की तुलना में अधिक दूध का उत्पादन करते हैं।
धीरे-धीरे लोग स्थानीय कमजोर, रोगग्रस्त मवेशियों को सड़कों पर छोड़ने लगे ।
इन परित्यक्त मवेशियों की संख्या में अधिक से अधिक वृद्धि हुई, जो कि दोनों ही समाज और लोगो को, विशेष रूप से यातायात प्रबंधन में अशांति पैदा करने लगे।
दुर्घटनाओं में कुछ गायें घायल हो जाती है, और बहुत से अन्य गायें और बैल पोलीथीन पदार्थ, कपड़ा, कागज और धातु के सामान युक्त कचरा खुद खा जाते है, जिसके कारण ये असहाय गायें और बैल अक्सर अकस्मात मौत मर जाते हैं।
इस प्रकार से छोड़ दिए गए मवेशियों को सुरक्षा और आश्रय प्रदान करने को ध्यान में रखते हुए, जयपुर नगर निगम ने आगरा रोड पर, हिंगोनिया गांव में, 282 बिघा की भूमि पर एक पशु पुनर्वास केंद्र की स्थापना की।
इसका उद्घाटन 1 अक्टूबर 2004 को मंत्री श्री प्रताप सिंह सिधवी जी और महापौर श्रीमती शीलदाभाई द्वारा किया गया। इस मवेशी पुनर्वास केंद्र में शुरू में 65 मवेशी उपस्थित थे। निरंतर प्रगति के साथ, आज 8000 पशुओं को आश्रय दिया गया है और उन्हें बनाए रखा जा रहा है।
गोशाला के बारे में
पशु पुनर्वास केंद्र की यह परियोजना 2013 और 2014 के आसपास पूरी हुई । इस पशु पुनर्वास केंद्र ने जयपुर शहर में, यातायात दुर्घटनाओं में घायल पशुओं, अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मवेशियों या अन्य छोड़े गए मवेशीयों की सहायता के लिए, टोल फ्री नंबर 1962 के साथ, एम्बुलेंस सुविधा शुरू कर दी है, इन मवेशियों का उपचार और पुनर्वास लगातार पशु पुनर्वास केंद्र में किया जा रहा है। वर्तमान में 80-120 लीटर दूध 80 गायों से निकाला जा रहा है और भविष्य में बछड़ों से प्रगति की उम्मीद है। सभी मवेशियों की उचित स्वास्थ्य स्थिति बनाए रखने के लिए उनका वर्गीकरण उनके लिंग, नस्ल और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार किया जाता है।
हस्क (Husk), आमतौर पर इस्तेमाल किया गाय के चारे का भी पशु पुनर्वास केंद्र में 100 विघा के क्षेत्र में उत्पादन किया जा रहा है। इस भूमि में मवेशियों के लिए उचित मात्रा में आवश्यक विभिन्न प्रकार के चारे की खेती की जा रही है, जिसमें बहु-कट (multi-cut) मशीनों का उपयोग किया जा रहा है।
पशु पुनर्वास केंद्र में मौजूद पशु अस्पताल, जयपुर नगर निगम द्वारा विकसित किया गया है, जिसमें रुमैनोटमी ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया जाता है। जब आवश्यक हो तब अंग प्रत्यारोपण भी किया जाता है, जो कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास के साथ भविष्य में बहुत लाभकारी होगा ।
गेहूं का सूखा भूसा अच्छी मात्रा में मवेशियों को दिया जाता है। प्रत्येक मवेशी को प्रतिदिन 1 किलो पौष्टिक भोजन का एक खास पशु आहार भी दिया जाता है।
गोबर खाद और वर्मी कंपोस्ट, स्थानीय लोगों को क्रमशः 0.25 रुपये प्रति किग्रा और 2.00 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बेचा जाता है।
हिंगोनिया पशु पुनर्वास केंद्र में मवेशियों के पारदर्शी और उचित रखरखाव के लिए, आवश्यक स्थानों में 15 सीसीटीवी कैमरे लगाये गए हैं।
मजदूरों का पर्यवेक्षण भी प्रत्येक मवेशी शेड (बाड़े) में पर्यवेक्षकों और सीसीटीवी कैमरों द्वारा किया जाता है।पुनर्वास केंद्र के चरण-वार विकास के बाद, वर्तमान में इसके पास लगभग 1000 विघा भूमि और लगभग 8065 मवेशी है ।
हिंगोनिया पशु पुनर्वास केंद्र का पूरा प्रबंधन, 1 अक्टूबर 2016 से, जयपुर नगर निगम और हरे कृष्ण आंदोलन के बीच समझौता ज्ञापन के अनुसार, हरे कृष्ण मूवमेंट (अक्षय पात्र फाउंडेशन से संबद्ध संगठन) द्वारा किया जा रहा है ।
शहरों की प्रगति और आधुनिक मैकेनिकल मशीनरी, जैसे ट्रैक्टरों और कृषि उपकरणों में अन्य उपकरणों का इस्तेमाल करने से स्थानीय मवेशियों का महत्व कम हो गया।
दुग्ध और आर्थिक विकास के उत्पादन को अधिक महत्व देते हुए, विदेशी नस्ल के मवेशी या संकर मवेशियों की नस्ल, स्थानीय नस्ल की तुलना में अधिक दूध का उत्पादन करते हैं।
धीरे-धीरे लोग स्थानीय कमजोर, रोगग्रस्त मवेशियों को सड़कों पर छोड़ने लगे ।
इन परित्यक्त मवेशियों की संख्या में अधिक से अधिक वृद्धि हुई, जो कि दोनों ही समाज और लोगो को, विशेष रूप से यातायात प्रबंधन में अशांति पैदा करने लगे।
दुर्घटनाओं में कुछ गायें घायल हो जाती है, और बहुत से अन्य गायें और बैल पोलीथीन पदार्थ, कपड़ा, कागज और धातु के सामान युक्त कचरा खुद खा जाते है, जिसके कारण ये असहाय गायें और बैल अक्सर अकस्मात मौत मर जाते हैं।
इस प्रकार से छोड़ दिए गए मवेशियों को सुरक्षा और आश्रय प्रदान करने को ध्यान में रखते हुए, जयपुर नगर निगम ने आगरा रोड पर, हिंगोनिया गांव में, 282 बिघा की भूमि पर एक पशु पुनर्वास केंद्र की स्थापना की।
इसका उद्घाटन 1 अक्टूबर 2004 को मंत्री श्री प्रताप सिंह सिधवी जी और महापौर श्रीमती शीलदाभाई द्वारा किया गया। इस मवेशी पुनर्वास केंद्र में शुरू में 65 मवेशी उपस्थित थे। निरंतर प्रगति के साथ, आज 8000 पशुओं को आश्रय दिया गया है और उन्हें बनाए रखा जा रहा है।
गोशाला के बारे में
पशु पुनर्वास केंद्र की यह परियोजना 2013 और 2014 के आसपास पूरी हुई । इस पशु पुनर्वास केंद्र ने जयपुर शहर में, यातायात दुर्घटनाओं में घायल पशुओं, अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मवेशियों या अन्य छोड़े गए मवेशीयों की सहायता के लिए, टोल फ्री नंबर 1962 के साथ, एम्बुलेंस सुविधा शुरू कर दी है, इन मवेशियों का उपचार और पुनर्वास लगातार पशु पुनर्वास केंद्र में किया जा रहा है। वर्तमान में 80-120 लीटर दूध 80 गायों से निकाला जा रहा है और भविष्य में बछड़ों से प्रगति की उम्मीद है। सभी मवेशियों की उचित स्वास्थ्य स्थिति बनाए रखने के लिए उनका वर्गीकरण उनके लिंग, नस्ल और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार किया जाता है।
हस्क (Husk), आमतौर पर इस्तेमाल किया गाय के चारे का भी पशु पुनर्वास केंद्र में 100 विघा के क्षेत्र में उत्पादन किया जा रहा है। इस भूमि में मवेशियों के लिए उचित मात्रा में आवश्यक विभिन्न प्रकार के चारे की खेती की जा रही है, जिसमें बहु-कट (multi-cut) मशीनों का उपयोग किया जा रहा है।
पशु पुनर्वास केंद्र में मौजूद पशु अस्पताल, जयपुर नगर निगम द्वारा विकसित किया गया है, जिसमें रुमैनोटमी ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया जाता है। जब आवश्यक हो तब अंग प्रत्यारोपण भी किया जाता है, जो कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास के साथ भविष्य में बहुत लाभकारी होगा ।
गेहूं का सूखा भूसा अच्छी मात्रा में मवेशियों को दिया जाता है। प्रत्येक मवेशी को प्रतिदिन 1 किलो पौष्टिक भोजन का एक खास पशु आहार भी दिया जाता है।
गोबर खाद और वर्मी कंपोस्ट, स्थानीय लोगों को क्रमशः 0.25 रुपये प्रति किग्रा और 2.00 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बेचा जाता है।
हिंगोनिया पशु पुनर्वास केंद्र में मवेशियों के पारदर्शी और उचित रखरखाव के लिए, आवश्यक स्थानों में 15 सीसीटीवी कैमरे लगाये गए हैं।
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Last updated on Aug 14, 2018
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